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Wednesday, October 27, 2010

GHAZAL

कभी  एहले जुनूँ भी मसलहत से काम लेते है 
तुम्हे जब याद करते है  खुदा का नाम लेते है

वो मस्ते नाज़ जब दुज्दीदा नजरो से पिलाता है       
खुदी वाले भी दस्ते बे खुदी से जाम लेते है

क़यामत दम बा खुद है गम जाए तुरकाना शशदर है
खुदा के सामने वो आज मेरा नाम लेते है

रहे उल्फत में हर हर गाम पे  लग्ज़ेश है मैकश को
 सुना  ये है के वो गिरते हो ओं को थाम लेते हैं               
 

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